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Hariyali Amavasya Puja Vidhi हरियाली अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Hariyali Amavasya Puja Vidhi हरियाली अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त और पूजन विधि : श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है । श्रावण मास की हरियाली अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है । हरियाली अमावस्या का त्योहार सावन महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहर सावन में प्रकृति पर आई बहार की खुशी में मनाया जाता है। हरियाली अमावस पर पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते है तथा मालपूए का भोग बनाकर चढाये जाने की परम्परा है। हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का अधिक महत्व है । पितरों की आत्मा की शांति के लिये हवन-पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिये भी यह अमावस्या श्रेष्ठ होती है । आइये जानते हैं Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे हरियाली अमावस्या पूजा विधि || Hariyali Amavasya Puja Vidhi को पढ़कर आप भी हरियाली अमावस्या के दिन को विधि पूर्वक पूजा कर सकेंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Hariyali Amavasya Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

हरियाली अमावस्या पूजा विधि || Hariyali Amavasya Puja Vidhi

Hariyali Amavasya Puja Vidhi हरियाली अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

हरियाली अमावस्या कब हैं ? 2022 || Hariyali Amavasya Puja Kab Hai 2022

इस साल 2022 में Hariyali Amavasya Puja का पर्व 28 जुलाई वार गुरुवार के दिन मनाया जायेगा। 

हरियाली अमावस्या 2022 पूजा शुभ मुहूर्त || Hariyali Amavasya 2022 Puja Muhurat 

सूर्यादय से सुबह 07:22 मिनट तक,

सुबह 10:46 मिनट से दोपहर 03:51 मिनट तक,

सांय 05:33 मिनट से सूर्यास्त 

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हरियाली अमावस्या का महत्‍व || Hariyali Amavasya Puja Ka Mahtav

श्रावण मास की अमावस्या को Hariyali Amavasya के नाम से जाना जाता है । श्रावण मास की हरियाली अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है । हरियाली अमावस्या का त्योहार सावन महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहर सावन में प्रकृति पर आई बहार की खुशी में मनाया जाता है। इस माह में मौसम का नज़ारा कुछ अलग देखने मिलता हैं ! हर तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती हैं ! आसमान में बादलों की घटायें बिखरी हुई नजर आती हैं ! Hariyali Amavasya Puja से एक दिन पहले शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है उसके बाद इस हरियाली अमावस्या से तीसरे दिन तीज मनाई जाती हैं ! जो बीजारोपण का त्यौहार माना जाता हैं ! 

हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण || Hariyali Amavasya Par Vraksharopan

हमारे सनातन धर्म में वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है । मनु-स्मृति के अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कमों के फलस्वरूप मानी गयी है। हरियाली अमावस्या के दिन नए वृक्ष लगाए जाते हैं इससे प्रकृति हमेशा हरी भरी रह सके ! वृक्षों का रोपन करना हमारे साथ जनकल्याण के लिए भी परोपकार का कार्य हैं । हमारे हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है  क्योंकि पीपल के वृक्ष में अनेकों देवताओं का वास माना गया है। Hariyali Amavasya Puja के दिन पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढाने से पितृ तृप्त होते है तथा शनि शान्ति के लिये भी शाम के समय सरसों के तेल का दिया लगाने का विधान है ।

हरियाली अमावस्या पूजा विधि || Hariyali Amavasya Puja Vidhi

Hariyali Amavasya Puja के दिन नए वृक्ष लगाने का विधान हैं ! यह आप सब जानते हो की पेड़-पौधों से मनुष्य नही बल्कि प्रकृति में रहने वाले समस्त जीव जंतु का जीवन सुरक्षित होता है ! इस दिन  पीपल, बरगद, केला, निंबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना बेहतर ही शुभ माना जाता है । Hariyali Amavasya Puja के दिन विशेष रूप से पीपल की पूजा की जाती है । पीपल पर जल चढ़ाया जाता हैं । फिर उसके बाद दीपक जलाकर मालपूओं का भोग लगाया जाता है । और फिर फेरे लिये जाते हैं । क्योंकी पीपल में जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास बताया जाता है वहीं आवंला में भगवान लक्ष्मीनारायण को विराजमान माना जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन को गेंहू, ज्वार, मक्का आदि की सांकेतिक बुआई भी की जाती है। गुड़ व गेंहू की धानि प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है। यह पर्व खास रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है ।पौधारोपण करने के लिये विशेष रूप से उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिर, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त आदि नक्षत्र श्रेष्ठ व शुभ फलदायी माने जाते हैं ।

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