रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे WhatsApp Group पर जुड़ें Join Now

रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे Telegram Group पर जुड़ें Join Now

त्रिपुर सुन्दरी वेदसार स्तोत्रम || Tripurasundari Vedasara Stotram || Tripura Sundari Vedasara Stotra

त्रिपुर सुन्दरी वेदसार स्तोत्रम,  Tripurasundari Vedasara Stotram, Tripurasundari Vedasara Stotram Ke Fayde, Tripurasundari Vedasara Stotram Ke Labh, Tripurasundari Vedasara Stotram Benefits, Tripurasundari Vedasara Stotram Pdf, Tripurasundari Vedasara Stotram Mp3 Download, Tripurasundari Vedasara Stotram Lyrics.

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope  ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

30 साल के फ़लादेश के साथ वैदिक जन्मकुंडली बनवाये केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

श्री त्रिपुर सुन्दरी वेदसार स्तोत्रम || Sri Tripurasundari Vedasara Stotram

यह तो आप सब जानते है की षोडशी त्रिपुर सुन्दरी महाविद्या दस महाविद्याओं में तीसरे स्थान की साधना मानी जाती हैं ! Sri Tripurasundari Vedasara Stotram पढ़ने से साधक तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन आदि विधाएं प्राप्त हो जाती हैं ! साधक को शारीरिक रोग, मानसिक रोग और और अन्य रोग का भी भय नहीं रहता हैं ! साधक को अपने जीवन में धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष आदि की प्राप्ति होती हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Sri Tripurasundari Vedasara Stotram By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi..

श्री त्रिपुर सुन्दरी वेदसार स्तोत्रम || Sri Tripurasundari Vedasara Stotram

कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

ज्योत्स्नाशुद्धावदाता  शशिशिशुमकुटालंकृता ब्रह्मपत्नी।

साहित्यांभोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्विकीं वाग्विभूतिं

देयान्मे शुभ्रवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासा विमुक्तैः

सानन्दं ध्यानयोगाद्बिसगुणसदृशी दृश्यते चित्तमध्ये।

या देवी हंसरूपा भवभटहरणं साधकानां विधत्ते

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वदा व्याप्य विश्वम्।

संहर्त्री सर्वभासां  विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा

सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाशयित्वादिशक्तिः ॥३॥

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते।

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

सम्राज्ञी सा मदीयं मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु  ॥४॥

ह्रींकाराम्भोजभृङ्गी हयमुखविनुता हानिवृध्यादिहीना

हंसोऽहम् मन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्राक्षरूपा  ।

हस्ते चिन्मुद्रिकाद्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताधीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाऽब्जगेहा।

पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिस्संपदां या

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां

रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम्।

चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयनज्योतिषा देववृन्दैः

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या।

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥

हव्यैः कव्यैश्च सर्वैर्श्रुतिचयविहितैः कर्मभिः कर्मशीलाः

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः।

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञा

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

यस्यां विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्या।

यस्या शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं

तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणधात्रीम् ॥१०॥

ह्रींकाराम्बोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयां ईश्वराणां

ह्रींमन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम्।

ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमहिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

सावित्री तत्पदार्था शशियुतमकुटा पञ्चशीर्षा त्रिनेत्रा।

हस्ताग्रैः शंखचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

बिभ्राणा वृंदमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः।

हर्त्री स्वेनैवधाम्ना पुनरपि वलये कालरूपं दधाना

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

लक्ष्या या पुण्यजालैः गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषात्

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेनतुल्ये।

लक्षं जप्त्वापि यस्या मनुवरमणिमादिसिद्धिमन्तो महान्तः

सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥

ह्रीं श्रीं ऐं मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रतिष्ठा

हादिकाद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रतिष्ठा।

दुष्टानां दानवानां मनभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

सम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोंकाररूपा ॥१५॥

श्रीमन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा फालनेत्रस्य धारा।

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूप ॥१६॥

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope  ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

<<< पिछला पेज पढ़ें                                                                                                                      अगला पेज पढ़ें >>>


यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

यह पोस्ट आपको कैसी लगी Star Rating दे कर हमें जरुर बताये साथ में कमेंट करके अपनी राय जरुर लिखें धन्यवाद : Click Here

रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे WhatsApp Group पर जुड़ें Join Now

रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे Telegram Group पर जुड़ें Join Now